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3 मिनट के शानदार वीडियो में देखे Sisodia Rani Bagh का गौरवशाली इतिहास, जानिए क्यों माना जाता है राधाकृष्ण के प्रेम का प्रतीक

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इसमें कोई शक नहीं कि राजस्थान की राजधानी जयपुर एक बेहद खूबसूरत शहर है और इस शहर में आकर लोगों को जो चीजें खूबसूरत होने का एहसास कराती हैं, वो हैं इस गुलाबी शहर में स्थित राजा-महाराजाओं के ऐतिहासिक किले, उनके महल, खूबसूरत बगीचे और अद्भुत मंदिर। यही एक वजह भी है कि गुलाबी शहर अपनी इन्हीं खूबियों के कारण देशी-विदेशी पर्यटकों के बीच इतना लोकप्रिय है।एक तरफ हवा महल के अंदर कदम रखते ही आपको राजपूताना और इस्लामिक मुगल वास्तुकला का मिश्रण दिखाई देता है, वहीं दूसरी तरफ शहर से छह किलोमीटर दूर स्थित सिसोदिया रानी का बाग अपनी भव्यता का परिचय देता है। इस बाग की खूबसूरती ऐसी है कि इसे देखकर आपको यकीन हो जाएगा।


1728 में बना था यह बाग
उदयपुर की महारानी चंद्रकुंवर सिसोदिया के नाम पर बने इस बाग का निर्माण सवाई जयसिंह ने 1728 में करवाया था। यह बाग प्रेम की अनूठी मिसाल पेश करता है। दरअसल जयपुर की महारानी चंद्रकुंवर सिसोदिया को प्रकृति से खास प्रेम था। वह अक्सर अपने खाली समय में प्रकृति की गोद में आराम करती थीं, प्रकृति के प्रति उनके विशेष प्रेम को देखते हुए राजा सवाई जय सिंह ने इस बाग का निर्माण करवाया था, जिसका नाम 'सिसोदिया रानी का बाग' रखा गया। आपको बता दें कि यह बाग न केवल राजा-रानी के बल्कि राधा-कृष्ण के प्रेम का भी प्रतीक है।

इसकी वास्तुकला बेहद आकर्षक है
सिसोदिया रानी का बाग जयपुर के सभी बागों में सबसे बड़ा और खूबसूरत है। आसपास की पहाड़ियों के बीच स्थित यह बाग अपनी खूबसूरती और संरचना के कारण एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया है। हरे-भरे पेड़, फूलों की क्यारियाँ और खूबसूरत चारबाग शैली इस बाग को आकर्षक बनाती है। वैसे भी, सिसोदिया रानी के बाग के शिखर और मंडप हिंदू रूपांकनों और कृष्ण के जीवन के चित्रण से सजाए गए हैं। मुगल वास्तुकला पर निर्मित इस बाग को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि रानी के महल से पूरा बाग दिखाई देता है।

भगवान शिव का मंदिर
सिसोदिया रानी का बाग में भगवान शिव, भगवान हनुमान और भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर भी हैं। मंदिर के बगल में एक प्राकृतिक झरना भी है, जो बरसात के मौसम में बहता है। सिसोदिया रानी के बाग में लम्हे-धड़क समेत कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। आपको बता दें कि इसी महल में राजकुमार माधो सिंह का जन्म हुआ था, जो बाद में 1750 ई. में जयपुर के राजा बने थे।

भारतीयों के लिए कितनी है फीस?
जहां सिसोदिया रानी के बाग में भारतीयों के लिए प्रवेश शुल्क 55 रुपये है, वहीं विदेशी पर्यटकों के लिए 302 रुपये है। वहां पढ़ने वाले छात्रों के लिए इसका शुल्क मात्र 25 रुपये है। इतना ही नहीं, 7 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रवेश निःशुल्क है।

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