राजस्थान में प्रस्तावित पंचायतीराज पुनर्गठन के खिलाफ कांग्रेस का विरोध तेज हो गया है। मंगलवार को बाड़मेर कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सड़कों पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन किया। जिले के महावीर पार्क में एक दिवसीय सांकेतिक धरना देकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।
धरने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जुलूस के रूप में कलेक्ट्रेट की ओर कूच किया। कलेक्ट्रेट पहुंचने पर जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई और प्रदर्शनकारियों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा, जिसमें पंचायतीराज पुनर्गठन की योजना को वापस लेने की मांग की गई।
धरने में जुटे सैकड़ों कार्यकर्ता
महावीर पार्क में आयोजित धरने में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं, पार्षदों और सैकड़ों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित पंचायतीराज पुनर्गठन से ग्रामीण प्रशासन की मूल संरचना प्रभावित होगी, जिससे न सिर्फ ग्राम पंचायतों की स्वायत्तता कम होगी, बल्कि आमजन तक पहुंचने वाली योजनाएं भी बाधित होंगी।
पूर्व जिला प्रमुखों, सरपंच संघ के पदाधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों ने भी धरने को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार को पहले पंचायत स्तर पर राय मशविरा करना चाहिए था, लेकिन बिना जनसुनवाई के एकतरफा निर्णय थोप दिया गया है।
ज्ञापन में उठाई ये मांगें
जिला कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में कांग्रेस नेताओं ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने यह निर्णय वापस नहीं लिया, तो पार्टी आने वाले दिनों में प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी। ज्ञापन में पुनर्गठन को ग्रामीण लोकतंत्र के खिलाफ बताया गया और कहा गया कि इससे पंचायत स्तर पर विकास कार्यों की गति प्रभावित होगी।
नारेबाजी और विरोध
कलेक्ट्रेट परिसर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। "पंचायतीराज की हत्या बंद करो", "गांव की सरकार पर हमला नहीं सहेंगे", जैसे नारों से माहौल गरमा गया। हालांकि पुलिस और प्रशासन ने मौके पर शांतिपूर्वक हालात बनाए रखे और प्रदर्शन शांतिपूर्वक संपन्न हुआ।
आंदोलन को मिल रहा समर्थन
कांग्रेस के इस विरोध को अब कई पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीण संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अन्य जिलों में भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
राज्य सरकार की चुप्पी
फिलहाल राज्य सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन कांग्रेस द्वारा शुरू किया गया यह विरोध अब राजनीतिक रूप लेता जा रहा है। यदि सरकार ने समय रहते कोई स्पष्ट नीति नहीं बनाई, तो यह मामला आने वाले पंचायत चुनावों में एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है।
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