नई दिल्ली, 31 मई . दक्षिण-पश्चिम जिले की साइबर थाना पुलिस ने ऑनलाइन निवेश के नाम पर 41.45 लाख की ठगी करने वाले दो ठगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपितों की पहचान राजस्थान के बाड़मेर निवासी रहीम खान (24) और अहमदाबाद निवासी इंद्र कुमार साहनी (36) के रूप में हुई हैं. पुलिस ने आरोपितों के कब्जे से अपराध में इस्तेमाल किए गए पांच स्मार्टफोन बरामद किए हैं.
दक्षिण पश्चिम जिले के डीसीपी सुरेंद्र चौधरी ने शनिवार को बताया कि कुछ समय पहले वसंत कुंज निवासी सेवानिवृत्त कर्नल ने ठगी की शिकायत
दी थी. शिकायत में उन्होंने बताया कि उन्हें व्हाट्सएप के माध्यम से डिजिटल गोल्ड ट्रेडिंग वेबसाइट () से जोड़ा गया. इस वेबसाइट पर उन्हें डॉलर में निवेश के बदले अच्छा मुनाफा मिलने का झांसा दिया गया. आरोपित पहले रुपये को 80 रुपये प्रति डॉलर की दर से डॉलर में बदलकर वेबसाइट पर उनके नाम से ट्रेंडिंग खाता दिखाते थे.शिकायतकर्ता ने कुल 41.45 लाख निवेश किए और वेबसाइट पर उसका लाभ एक करोड़ तक दिखाया गया, लेकिन जब उन्होंने पैसे निकालना चाहा तो आरोपितों ने 31.5 लाख टैक्स की मांग की और राशि न देने पर कोई रकम नहीं लौटाई. ठगी का अहसास होने पर पीड़ित ने मामले की सूचना पुलिस को दी. पुलिस ने शिकायतकर्ता के बयान मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की.
डीसीपी के अनुसार इंस्पेक्टर प्रवेश कौशिक की देखरेख में पुलिस टीम ने तकनीकी निगरानी, डिजिटल फुटप्रिंट्स और मनी ट्रेल की मदद से आरोपितों को गुजरात के अहमदाबाद में स्थित एक होटल से पकड़ा. यहां से आरोपित इंद्र कुमार साहनी को गिरफ्तार किया गया. जिसके पास से 3 मोबाइल फोन बरामद हुए. आरोपित की निशानदेही पर पुलिस ने आरोपित रहीम खान को दबोचा. इसके कब्जे से दो मोबाइल फोन बरामद किए गए.
ठगी का तरीकापूछताछ में खुलासा हुआ कि आरोपित इंद्र कुमार साहनी ने पहले अपने नाम से कई बैंक खाते खोले और कमीशन पर दूसरों को सौंपे. वहीं रहीम खान इन खातों को चलाने का काम करता था. रहीम खान चीन के नागरिकों से टेलीग्राम के माध्यम से जुड़ा हुआ था और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर धोखाधड़ी में लिप्त था.
रहीम ने खाताधारकों को अहमदाबाद बुलाकर होटल में रुकवाया और उनके खातों में प्राप्त सिम कार्ड को खास ऐप्स के जरिए ऑपरेट करने की सुविधा चीनी ऑपरेटरों को दी. इन एप्स के जरिए विदेशी ठग सीधे भारतीय खातों को चला पाते थे.
अब तक 30-35 ऐसे बैंक खाते चिन्हित किए जा चुके हैं. आरोपितों को उनके हिस्से का कमीशन (क्रिप्टो करेंसी) के रूप में मिलता था. इस पूरे मामले में और भी कई आरोपित शामिल हैं जिनकी तलाश में पुलिस टीमें लगातार छापेमारी कर रही है.
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/ कुमार अश्वनी