दिल्ली/हैदराबाद, 11 अगस्त (Udaipur Kiran) । तेलंगाना के खो-खो खिलाड़ी वी. नवीन कुमार की कहानी इस बात का प्रेरक उदाहरण है कि कैसे देशी खेल जीवन में भी चैंपियन बना सकते हैं। साधारण परिवार में जन्मे, जिनके माता-पिता बीड़ी मज़दूर थे, कुमार ने कठिनाइयों को पीछे छोड़ते हुए सरकारी नौकरी हासिल की, भारत का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया और हाल ही में हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय से फिजिकल एजुकेशन में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
34 वर्षीय कुमार का खो-खो से परिचय कक्षा-7 में हुआ। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने खेलना जारी रखा। उन्होंने कहा, “कई बार घर की बुनियादी जरूरतें पूरी करना मुश्किल था, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। खो-खो ने मुझे अपने जीवन की दिशा खुद तय करने का साहस दिया।” अब वे स्कूल के बच्चों को खो-खो सिखा रहे हैं, और मानते हैं कि 2025 वर्ल्ड कप के बाद युवाओं में इस खेल को लेकर रुचि बढ़ी है।
उनका शोध “तेलंगाना राज्य के खो-खो खिलाड़ियों में अंतराल प्रशिक्षण के शारीरिक फिटनेस और शारीरिक परिवर्तनीयताओं पर प्रभाव” विषय पर आधारित है, जो पारंपरिक खेलों में आधुनिक खेल विज्ञान के समावेश की संभावनाओं को उजागर करता है। कुमार मानते हैं कि यह एकीकरण खिलाड़ियों के साथ-साथ मनोविज्ञान, फिजियोलॉजी और स्पोर्ट्स मेडिसिन जैसे क्षेत्रों को भी समृद्ध कर सकता है।
खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया (केकेएफआई) के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने कुमार को बधाई देते हुए कहा, “खो-खो खिलाड़ियों की कहानियां हिम्मत और दृढ़ संकल्प की मिसाल होती हैं। आज खो-खो में खेल विज्ञान का समावेश हो चुका है और यह किसी भी आधुनिक खेल के बराबर है।” संगठन एवं प्रशासन समिति के अध्यक्ष डॉ. एम.एस. त्यागी ने भी ऐसे और शोध कार्यों की आवश्यकता पर जोर दिया।
2012 से 2017 के बीच कुमार ने छह सीनियर नेशनल चैंपियनशिप और ऑल इंडिया मेन्स इंटर यूनिवर्सिटी खो-खो चैंपियनशिप में राज्य का प्रतिनिधित्व किया। जनवरी 2017 में नवी मुंबई में भारत बनाम इंग्लैंड खो-खो टेस्ट सीरीज में गोल्ड मेडल जीतना उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि रही। उनकी प्रतिभा के बल पर उन्हें भारतीय सेना में खेल कोटे से स्थान मिला और बाद में वे तेलंगाना के एक सरकारी स्कूल में फिजिकल डायरेक्टर बने।
कुमार की यात्रा साबित करती है कि खो-खो जैसे देशी खेल अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि विद्वान और समाज के नेता भी तैयार कर सकते हैं। यह कहानी बताती है कि सही समर्थन और दृढ़ निश्चय के साथ खो-खो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता का माध्यम बन सकता है।
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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय
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