कानपुर, 27 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . शहर के सिविल लाइन्स स्थित ऐतिहासिक म्योर मिल की विशाल जमीन अब राज्य सरकार के कब्जे में वापस आ गई है. जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह की मंजूरी के बाद एडीएम वित्त एवं राजस्व (प्रभारी अधिकारी नजूल) के आदेश से इस पर पुनर्प्रवेश कर दिया गया है. करीब 15 हेक्टेयर यानी डेढ़ लाख वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाली यह भूमि अब अनावंटित सरकारी भूमि घोषित की गई है और परिसर पर पुनर्प्रवेश का बोर्ड भी अंकित करा दिया गया है.
नजूल अभिलेखों के अनुसार यह जमीन वर्ष 1861 में पहली बार द कानपुर म्योर मिल को लीज पर दी गई थी. इसके बाद 1930 के दशक में इसका नवीनीकरण हुआ था. लगभग डेढ़ सदी तक यह भूमि टेक्सटाइल इकाइयों के लिए उपयोग में रही, लेकिन मिलें बंद होने के बाद परिसर के कई हिस्से लम्बे समय से खाली और अवैध कब्जों में थे.
नेशनल टेक्सटाइल कॉरपोरेशन (एनटीसी) द्वारा न तो लीज अवधि का नवीनीकरण कराया गया और न ही लीज रेंट जमा किया गया. सत्यापन समिति की रिपोर्ट में पाया गया कि जिस उद्देश्य से यह भूमि दी गई थी, वह अब पूरा नहीं हो रहा है. शासन ने आठ अक्टूबर को आदेश जारी कर स्पष्ट कर दिया कि यह भूमि राज्य सरकार की है और पुनर्प्रवेश की कार्यवाही में कोई बाधा नहीं है.
भूमि के रखरखाव और व्यवस्था के लिए सहायक प्रभारी अधिकारी (नजूल) और तहसीलदार सदर को जिम्मेदारी सौंपी गई है. इस जमीन का उपयोग अब मंडलीय कार्यालय व अन्य शासकीय एवं जनहित की महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए किया जा सकेगा.
शहर के बीचों-बीच स्थित यह बड़ी भूमि लम्बे समय से निष्प्रयोज्य थी. अब पुनर्प्रवेश की कार्रवाई के बाद यह जमीन राज्य सरकार के नियंत्रण में सुरक्षित हो गई है. इस ऐतिहासिक संपत्ति का उपयोग आने वाले समय में मंडलीय कार्यालय और जनहित से जुड़ी महत्वपूर्ण परियोजनाओं में होगा, जिससे शहरवासियों को सीधा लाभ मिलेगा और विकास को नई गति मिलेगी.
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप
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