नई दिल्ली, 15 अप्रैल . अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से 21-22 अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश के नामसाई में “बुद्ध धम्म और पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति” शीर्षक से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है. सम्मेलन में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू के शामिल होने की संभावना है. उपमुख्यमंत्री चौना मीन के भी इसमें भाग लेने की संभावना है.
उत्तर-पूर्व भारत बौद्ध परंपराओं, मठवासी संस्कृति और विरासत का एक महत्वपूर्ण केंद्र है. इस क्षेत्र ने थेरवाद, महायान और वज्रयान सहित विभिन्न बौद्ध परंपराओं को संरक्षित और प्रचारित किया है. उत्तर-पूर्व भारत में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा शामिल हैं.
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि
भारत सरकार अरुणाचल प्रदेश में बुद्ध धम्म की उपस्थिति को मजबूत करने के लिए बौद्ध पर्यटन, विरासत संरक्षण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए कई पहलों में सक्रिय रूप से शामिल है. बुद्ध धम्म और उत्तर-पूर्व भारत की संस्कृति के महत्व का पता लगाने के लिए आईबीसी बहुउद्देशीय सांस्कृतिक हॉल, नामसाई में 2 दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है.
जबकि पहले दिन तीन पैनल चर्चाएं शामिल होंगी. इसकी ऐतिहासिक प्रासंगिकता, क्षेत्र की कला और संस्कृति और पड़ोसी देशों पर बुद्ध धम्म का सांस्कृतिक प्रभाव और इसके विपरीत दूसरा दिन विपश्यना का अभ्यास करने और प्रसिद्ध गोल्डन पैगोडा में विश्व शांति के लिए प्रार्थना करने के लिए समर्पित होगा.
ऐतिहासिक रूप से बुद्ध धर्म सम्राट अशोक के शासन के दौरान उत्तर-पूर्व भारत पहुंचा और अन्य पड़ोसी क्षेत्रों में विस्तारित हुआ. इसने भारत को दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ने वाले बौद्ध सांस्कृतिक गलियारे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसके अलावा उत्तर-पूर्व भारत कई आदिवासी समुदायों का घर है जिन्होंने बुद्ध धर्म को अपनी पारंपरिक प्रथाओं के साथ एकीकृत किया है. यहां विभिन्न बौद्ध परंपराएं, थेरवाद, महायान और वज्रयान, फल-फूल रही हैं.
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/ विजयालक्ष्मी
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