शिमला, 02 अगस्त (Udaipur Kiran) । भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रदेश में लॉटरी को दोबारा शुरू करने के निर्णय की कड़ी निंदा की है। धूमल ने कहा कि यह फैसला प्रदेश को सिर्फ बर्बादी की ओर ले जाएगा और हजारों परिवारों के लिए आर्थिक संकट का कारण बनेगा।
प्रो. धूमल ने याद दिलाया कि 1996 में माननीय उच्च न्यायालय ने प्रदेश में सिंगल डिजिट लॉटरी की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। इसके बाद जब वे 1998 में मुख्यमंत्री बने, तो 1999 में भाजपा सरकार ने एक मत से पूरे लॉटरी सिस्टम को बंद कर दिया था। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक सरकारी निर्णय नहीं था, बल्कि प्रदेश को लॉटरी की लत से बचाने की दूरदर्शी सोच थी।
उन्होंने बताया कि उस समय कर्मचारियों की सैलरी, युवाओं की बचत, पेंशनधारकों की पेंशन और मजदूरों की कमाई लॉटरी में दांव पर लग गई थी। कई परिवार आर्थिक रूप से बर्बाद हो गए थे। उन्होंने कहा कि लॉटरी जैसे अभिशाप की आदत ना पड़े, इसलिए जनहित में इस पर प्रतिबंध लगाया गया था।
धूमल ने कहा कि 2004 में कांग्रेस सरकार ने फिर लॉटरी शुरू की थी, लेकिन बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी इसे पूरी तरह बंद कर दिया था। उन्होंने बताया कि उस समय भी इससे प्रदेश को सिर्फ चार–पांच करोड़ रुपये की आय होती थी, लेकिन नुकसान कहीं ज्यादा था।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रदेश में करीब 2.31 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से 1.6 लाख नियमित कर्मचारी हैं। वहीं, 9 से 10 लाख बेरोजगार युवा हैं, जिनका जीवन इस लॉटरी से प्रभावित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले एक लाख युवाओं को पहली कैबिनेट में नौकरी और पांच साल में पांच लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन आज सच्चाई यह है कि प्रदेश शराब, नशा और लॉटरी की चपेट में आता दिख रहा है।
भाजपा नेता ने सरकार से अपील की कि इस जनविरोधी फैसले को तुरंत वापस लिया जाए ताकि प्रदेश के युवाओं और परिवारों को लॉटरी की लत से बचाया जा सके।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
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