भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष (BJP President) के चयन को लेकर उत्सुकता चरम पर है। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से ही इस अहम पद के लिए चर्चा तेज थी, लेकिन अब, एक साल बाद भी, पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच सहमति बनने में देरी हो रही है। इस बीच, एक नया नाम सामने आया है, जिसने सबको चौंका दिया है— जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) मनोज सिन्हा (Manoj Sinha)।
बीजेपी के सामने अगले कुछ साल बेहद महत्वपूर्ण हैं। पश्चिम बंगाल (West Bengal) में पार्टी को मजबूत करना और वहाँ जीत हासिल करना न केवल पार्टी के लिए, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। इसके अलावा, बिहार (Bihar) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) जैसे राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) भी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती हैं। नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनते समय जातिगत समीकरण, क्षेत्रीय संतुलन और संगठन की रणनीति को ध्यान में रखना होगा। साथ ही, RSS के साथ तालमेल भी उतना ही जरूरी है। ऐसे में, नए अध्यक्ष के कंधों पर न केवल संगठन को एकजुट रखने, बल्कि कठिन चुनावी लड़ाइयों को जीतने की जिम्मेदारी होगी।
मनोज सिन्हा: क्यों हैं चर्चा में?हाल ही में, सूत्रों के हवाले से खबर आई कि मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) का नाम बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हो गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (Lieutenant Governor of Jammu and Kashmir) सिन्हा का नाम पहले से चर्चित धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) और भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) जैसे नेताओं के साथ अब जोड़ा जा रहा है। सिन्हा की खासियत उनका लंबा प्रशासनिक अनुभव और RSS के साथ गहरा जुड़ाव है। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से आने वाले सिन्हा, जो भूमिहार ब्राह्मण (Bhumihar Brahmin) समुदाय से हैं, ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) और आईआईटी (IIT) से पढ़ाई की है। उनकी तकनीकी समझ और सोशल मीडिया (Social Media) में दक्षता उन्हें आधुनिक राजनीति के लिए उपयुक्त बनाती है।
जम्मू-कश्मीर में उनके कार्यकाल ने उनकी छवि को और मजबूत किया है। वहाँ उन्होंने शासन में पारदर्शिता और विकास के लिए कई कदम उठाए, जिसकी सराहना खुद पीएम मोदी ने की है। सिन्हा का अनुभव और संगठनात्मक कौशल उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत दावेदार बनाता है। लेकिन क्या वह पार्टी और RSS दोनों को एक साथ जोड़ पाएंगे? यह सवाल अभी भी बना हुआ है।
अन्य दावेदार और जातिगत समीकरणमनोज सिन्हा से पहले धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव के नाम चर्चा में थे। दोनों ही अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से आते हैं और संगठन में उनकी मजबूत पकड़ है। इसके अलावा, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) का नाम भी कुछ समय के लिए उछला, लेकिन उनकी दावेदारी को लेकर ज्यादा सहमति नहीं बन पाई। बीजेपी और RSS दोनों इस बात पर सहमत हैं कि नया अध्यक्ष ऐसा होना चाहिए जो संगठन को नई ऊर्जा दे, चुनावी रणनीति को प्रभावी ढंग से लागू करे और क्षेत्रीय व जातिगत समीकरणों को संतुलित करे। खासकर, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में OBC और अन्य समुदायों का समर्थन जुटाना पार्टी के लिए जरूरी है।
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